रायपुर: केन्द्रीय जनजातीय मामले के मंत्री श्री दुर्गादास उइके ने आज राजधानी रायपुर के एक निजी होटल में आयोजित आदि कर्मयोगियों के लिए राज्य स्तरीय उन्नमुखीकरण एवं जिला मास्टर टेªनर्स के चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया। केन्द्रीय मंत्री श्री उइके ने शुभारंभ सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमें केवल स्वहित के लिए ही नहीं, बल्कि परहित और विकास की राह में पीछे छूट गए लोगों के लिए संवेदनशीलता के साथ काम करना चाहिए।
ऐसे लोगों के लिए काम करने का अवसर मिलना सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि जिनका व्यक्तित्व और कर्तृत्व उत्कृष्ट होता है, उन्हें आने वाली पीढ़ी याद रखती हैं। जिसके मन में मानवीय संवेदना का चिंतन होता है, वे सबको साथ लेकर चलते है, सबके विकास में सहभागी बनते हैं। उन्होंने कहा कि भोग, भौतिकी, पेट और प्रजनन के साथ ही मानवता के प्रति अपने मूल दायित्वों को भी प्राथमिकता के साथ पूरा करना चाहिए।
केन्द्रीय मंत्री श्री उइके ने प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि आदि कर्मयोगी को विशेष तौर पर यह ध्यान देना चाहिए कि जनजातीय संस्कृति और परंपरा को कायम रखते हुए उनके उत्पाद को उचित बाजार और अच्छा दाम मिले। इन वर्गों के कल्याण के लिए हम सबको पावन और पवित्र भाव से कार्य करना चाहिए। उन्होंने कार्यशाला में कहा कि वैश्विक भाव रखते हुए हमें विश्व भारती पर चिंतन करने की जरूरत है। साथ ही केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ अंतिम छोर के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे यह भी ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यदि हम पिछड़े हुए वर्गों के विकास के लिए निच्छल भाव काम करेंगे तो अभियान को सफलता अवश्य मिलेगी।
आदिम जाति, अनुसूचित जाति विकास मंत्री श्री रामविचार नेताम ने आदि कर्मयोगी अभियान के प्रशिक्षण कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के परिकल्पना पर आदि कर्मयोगी अभियान प्रारंभ किए गए हैं। यह अभियान विकसित भारत की संकल्पना को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका समाएगा। उन्होंने कहा कि विकसित भारत की संकल्पना में छत्तीसगढ़ पीछे न रहे इस उद्देश्य से संवेदनशीलता और समर्पण भाव से जनजातीय वर्गों के विकास में भागीदारी बनने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की कल्पना एवं सोच से जनजातीय वर्गों की समस्याओं के निराकरण का राष्ट्रव्यापी अभियान चल रहा है। प्रधानमंत्री श्री मोदी के ही परिकल्पना से पीएम जनमन एवं धरती आबा ग्राम उत्कर्ष अभियान संचालित हो रहे है, इससे राज्य के जनजातियों विशेषकर पिछड़े जनजातियों के विकास निरंतर कार्य किए जा रहे हैं। इस अभियान के अंतर्गत छत्तीसगढ़ में भी जनजातीय बाहुल्य गांवों में बुनियादी अधोसंरचना और सुविधाओं में जो भी ‘क्रिटिकल गैप’ हैं, उनकी पहचान करेंगे। स्थानीय प्रशासन के माध्यम से इन कमियों को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। इससे हर ग्राम बुनियादी सुविधाओं से संतृप्त होगा। मंत्री श्री नेताम ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय आदि कर्मयोगी अभियान को 17 सितम्बर से 2 अक्टूबर 2025 के मध्य जोर-शोर के साथ सेवा पर्व के रूप में संचालित करने का आह्वान किया है।
केन्द्रीय ट्राईफेड के प्रबंध संचालक श्री हृदेश कुमार ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि सेवा समर्पण और संकल्प के भाव से आदि कर्मयोगी अभियान को आगे लेकर चलना है। पीएम जनमन एवं धरती आबा, ग्राम उत्कर्ष अभियान की तरह ही इस अभियान की सफलता के लिए समर्पण भाव होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि ट्राईफेड की ओर छत्तीसगढ़ में जनजातीय वर्गों के विकास के लिए हर संभव सहयोग किया जाएगा।
प्रमुख सचिव श्री सोनमणी बोरा ने कहा कि आदि कर्मयोगी अभियान जनभागीदारी से सुशासन लाना है। उन्होंने कहा कि सेवा, समर्पण और संकल्प की भावना को आत्मसात करते हुए आजादी के अमृतकाल में वर्ष 2047 तक विकसित भारत की संकल्प को पूरा करने में सबकी सहभागिता जरूरी है। इस अभियान के तहत प्रदेश के 28 जिलों के 138 विकासखंडो में 1 लाख 33 हजार वॉलंटियर्स को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य है, जिसे जनभागीदारी और जनजागरूकता के माध्यम से से पूर्ण किया जाना है। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि हमें कर्मयोगी बनना है। सबकी सहभागिता से समाज के पिछड़े तबके के विकास के लिए भी हमें संवेदनशीलता के साथ काम करने की जरूरत है। गीता में भी कर्मयोगी, भक्तियोगी की महत्ता प्रतिपादित है। उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदायों के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में धरती आबा और पीएम-जनमन जैसे संतृप्तिमूलक अभियानों की भी शुरुआत की गई है, जिनके अंतर्गत आदिवासी बाहुल्य ग्रामों एवं पीवीटीजी बस्तियों में आवास, पक्की सड़कें, जलापूर्ति, आंगनबाड़ी और स्वास्थ्य सुविधाएं सुनिश्चित की जा रही हैं।
आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास विभाग के आयुक्त डॉ. सारांश मित्तर ने प्रशिक्षण के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आदि कर्मयोगी अभियान रेस्पॉन्सिव गवर्नेंस प्रोग्राम के तहत रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग संभाग के जिला स्तरीय प्रशिक्षणार्थियों को पहले चरण में 11 से 14 अगस्त तक मास्टर ट्रेनरों द्वारा विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षण दिया गया। वहीं बस्तर और सरगुजा संभाग के प्रशिक्षणार्थियों को 18 से 21 अगस्त तक प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह जिला स्तरीय मास्टर ट्रेनर ब्लॉक स्तर और ग्रामीण स्तर पर आदि सहयोगी व आदि साथी को प्रशिक्षित करेंगे। इन्हीं प्रशिक्षित आदि कर्मयोगियों द्वारा जनजातियों के घर-घर जाकर एवं उनसे चर्चा कर उन्हें समाज की मुख्य धारा में जोड़ने एवं उनके विकास की दिशा में कार्य करेंगे। प्रशिक्षण कार्यशाला में बस्तर और सरगुजा संभाग के प्रशिक्षाणर्थी शामिल थे।