रायपुर: जिला प्रशासन कोरिया द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में संगम अभियान के तहत निरंतर प्रभावशाली प्रयास किए जा रहे हैं। इसी श्रृंखला में विकासखंड सोनहत की ग्राम पंचायत तंजरा में मनरेगा श्रमिक परिवारों की महिलाओं को पशुपालन पर एक दिवसीय विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया गया, जिसमें 35 महिला हितग्राहियों ने सक्रिय भागीदारी की।
यह प्रशिक्षण विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए आयोजित किया गया था, जिन्हें महात्मा गांधी नरेगा योजना के अंतर्गत बकरी शेड, मुर्गी शेड, सुकर पालन शेड जैसी पशुपालन इकाइयाँ प्रदान की गई हैं। कार्यक्रम का उद्देश्य इन महिलाओं को प्रशिक्षित कर उनके पशुधन संसाधनों का वैज्ञानिक व व्यावसायिक उपयोग सिखाना था, ताकि वे इन गतिविधियों से स्थायी आय अर्जित कर सकें।
व्यवस्थित मार्गदर्शन और तकनीकी प्रशिक्षण
इस प्रशिक्षण में पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. रामस्वरूप चंदे द्वारा बकरी पालन, मुर्गी पालन व सूकर पालन की आधुनिक वैज्ञानिक विधियाँ, रोग प्रबंधन, पोषण, टीकाकरण, एवं साफ-सफाई से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी दी गई। महिलाओं ने पशुपालन से जुड़ी अपनी जिज्ञासाएं खुलकर रखीं, जिनका समाधान विशेषज्ञ द्वारा किया गया। इस अवसर पर ग्राम पंचायत के सरपंच, सचिव, मनरेगा कार्यक्रम अधिकारी और बिहान टीम के सदस्य उपस्थित रहे। प्रशिक्षण के दौरान सहभागियों में उत्साह और सीखने की ललक स्पष्ट रूप से दिखाई दी।
50 परिवारों को मिला पशुपालन शेड का लाभ
ग्राम पंचायत तंजरा में अब तक 50 मनरेगा श्रमिक परिवारों को पशुपालन से संबंधित शेड स्वीकृत कराए जा चुके हैं। इन्हें बिहान समूहों से जोड़ते हुए लखपति दीदी अभियान के तहत आयवर्धक गतिविधियों से सशक्त किया जा रहा है। यह पहल ग्रामीण महिलाओं को गरीबी की रेखा से ऊपर उठाने की दिशा में एक व्यवस्थित और प्रभावशाली प्रयास है।
प्रशासन की प्रतिबद्धता: हर महिला बने लखपति दीदी
जिला पंचायत कोरिया के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. आशुतोष चतुर्वेदी ने बताया कि यह प्रशिक्षण कलेक्टर श्रीमती चन्दन त्रिपाठी के मार्गदर्शन में ‘संगम अभियान’ के अंतर्गत प्रारंभ किया गया है। उन्होंने कहा की हमारा उद्देश्य सिर्फ प्रशिक्षण देना नहीं, बल्कि महिलाओं को आय आधारित गतिविधियों से जोड़कर उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना है। संगम अभियान एक ऐसा मंच है जो महिलाओं को ‘लखपति दीदी’ बनने की दिशा में अग्रसर कर रहा है। आने वाले समय में इसके सकारात्मक परिणाम निश्चित रूप से सामने आएंगे। डॉ. चतुर्वेदी ने आगे कहा कि यह पहल न केवल महिलाओं के जीवन को बदलने वाली है, बल्कि ग्राम्य अर्थव्यवस्था को भी गति देने वाली सिद्ध होगी।